राजधानी लखनऊ में शनिवार को नेशनल पीजी कॉलेज में मेधा सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत की। उन्होंने बच्चों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इस दौरान उन्होंने अमर उजाला से बातचीत में वक्फ कानून से लेकर विभिन्न मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय रखी। आगे पढ़े बातचीत के मुख्य अंश-
सवाल- भारत सरकार के वक्फ संशोधन अधिनियम पर क्या कहना है ?
जवाब- नेशनल कॉलेज है, यहां पढ़ाई की जगह अगर खाने का धंधा कर लिया जाए तो लोग क्या कहेंगे। वक्फ क्या है? वक्फ मतलब है चैरिटी यानी दान करने के लिए। लखनऊ में बताइए कितने वक्फ हैं? कोई चैरिटी इंस्टीट्यूसंस हैं? कोई अस्पताल हैं? वक्फ के जरिए चलाए जाने वाली, कोई बड़ी शिक्षा संस्था है? वक्फ के जरिए चलाए जाने वाले जब उद्देश्यों से भटक जाए तो क्या कहा जाए। आप कह रहे हो ये धार्मिक मामला है। धर्म ने कहा है कि वक्फ संपत्ति गरीब, कमजोर, निसहाय, विधवा, वृद्ध की मदद करने के लिए है, वो आप कर नहीं रहे। वास्तव में ये बीमारी है, और बीमारी है तो इसका इलाज भी होना चाहिए। मैं समझता हूं कि जो हुआ है, जरूरी था।
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सवाल- आप उत्तर प्रदेश से हैं, बीते आठ वर्ष में प्रदेश में कितना बदलाव हुआ ?
जवाब- मैंने उत्तर प्रदेश को बहुत करीब से देखा, बहराइच जैसे पिछड़े जिले से जनप्रतिनिधि रहा। अब संवैधानिक पद पर होने के नाते यहां जरूर कम आना होता है, लेकिन बदलाव और विकास की दृष्टि से उत्तर प्रदेश एक नई इबारत लिख रहा है। स्कूल बेहतर हुए हैं, हाईवे और रोड की संख्या बढ़ने के साथ ही संपर्क सुलभ हो गया है। जो इसके प्रगति के सूचक हैं।
सवाल- दो राज्यों में राज्यपाल के तौर पर शिक्षा में कितना सुधार देख रहे हैं आप ?
जवाब- शिक्षा की दृष्टि से सभी जगहों पर काम करने की बहुत जरूरत है। केरल में राज्यपाल रहने के दौरान मैंने इसके लिए हरसंभव कोशिश की, और शिक्षा में जो राजनैतिक दखलंदाजी थी उसे तकरीबन खत्म कर दिया। बिहार में भी बहुत सुधार की जरूरत है। वहां के बच्चे पढ़ाई के लिए बाहर जाते हैं। मेरी पूरी कोशिश होगी कि शिक्षा का स्तर कमजोर होने से वहां के बच्चे बाहर न जाएं।