सुन्नी बरेलवी के सबसे बड़े संगठन जमात रजा-ए-मुस्तफा ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। काजी-ए-हिंद असजद मियां के निर्देश पर जमात ने कोर्ट ने याचिका दायर कर दी है। संगठन का कहना है कि वक्फ संशोधन कानून को भारतीय संविधान के अनुच्छेद अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), और 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है।
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जमात रजा-ए-मुस्तफा की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि यह संगठन दरगाह आला हजरत/तजुशरिया का 107 साल पुराना है। काजी-ए-हिंदुस्तान मुफ्ती मुहम्मद असजद रजा खां कादरी (असजद मियां) ने वक्फ संशोधन कानून का कड़ा विरोध किया है। इसको उन्होंने मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों और इस्लामी विरासत पर हमला बताया।
उन्होंने कहा कि वक्फ पूरी तरह से धार्मिक मामला है, जो मुस्लिम संपत्तियों की सुरक्षा और उनके धार्मिक उपयोग को सुनिश्चित करता है। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना और संपत्तियों की नई जांच, संविधान के अनुच्छेद 26 का खुला उल्लंघन है। असजद मियां ने इस कानून को मुस्लिम वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने के साथ उन्हें माफिया के हवाले करने की साजिश बताया है।