Samwad 2025 Day 1 Live: संवाद के मंच पर पहुंचे कथावाचक अनिरुद्धाचार्य, सनातन और अध्यात्म विषय पर रख रहे विचार

05:32 PM, 17-Apr-2025

हिंदू राष्ट्र बनाने चाहिए या नहीं?

इस सवाल पर कथावाचक डॉ. अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि इस धरती पर लगभग 52 देश मुस्लिम देश हैं। अगर 52 देश मुस्लिम हो सकते हैं और उससे हमें कोई एतराज नहीं हैं तो भारत हिंदू राष्ट्र हो जाए तो इससे किसी को एतराज नहीं होना चाहिए।

05:26 PM, 17-Apr-2025

संवाद के मंच पर पहुंचे कथावाचक डॉ. अनिरुद्धाचार्य

कथावाचक डॉ. अनिरुद्धाचार्य अमर उजाला संवाद के मंच पर पहुंच गए हैं। वह सनातन धर्म और अध्यात्म विषय पर अपने विचार रख रहे हैं।

05:24 PM, 17-Apr-2025

कमांडो की ट्रेनिंग राजनीति के अखाड़े में कैसे काम आती है

असीम अरुण ने कहा कि कोई भी ट्रेनिंग काम आती है। ट्रेनिंग हमें सिखाती है कि योजना बनाओ, सामने वाले को चित करने के लिए तैयार रहो और कुछ भी हो जाए हारना नहीं है, जान लगाकर लड़ना है। यह बात राजनीति में भी लागू है और अभी बॉक्सिंग की बात हो रही थी ये बात वहां पर भी लागू है। जो आपका व्यवहार बनता है ऐसे प्रशिक्षण से वो बहुत काम आता है।

यूपी एटीएस चीफ की भूमिका, सैफुल्ला एनकाउंटर के बारे में कुछ बताइए?

इस सवाल के जवाब में मंत्री असीम अरुण ने कहा कि इस पर जो फिल्म बनी थी वो मैंने देखी थी, फिल्म ठीक थी लेकिन उस घटना के बहुत सारे आयाम थे जो उसमें आना चाहिए था। खैर, उस घटना की अगर मैं बात करूं तो वो समय था जब भारत में, दुनिया में और उत्तर प्रदेश में आईएसआईएस का एक बहुत बड़ा प्रकोप चल रहा था, युवाओं को ये लोग बहका रहे थे, उनको आतंकवादी बना रहे थे। इसके साथ ही इराक में, सीरिया से यह सब संचालित हो रहा था। लेकिन वो भी समय था, जब सारी एजेंसीज बहुत अच्छे से काम कर रही थीं। ऐसे में भी कोई भी घटना हम लोगों ने नहीं होने दी और सबसे शक्तिमान ग्रुप यही था। हमें कुछ बड़ी घटनाएं उज्जैन में, लखनऊ में पता चलीं तो हमने रेड की और हमारी कोशिश थी कि इन आतंकियों को हम जीवित गिरफ्तार कर पाएं लेकिन हमें फेस टू फेस शूटआउट करना पड़ा, जिसमें वो मारा गया। वो एनकाउंटर भी ऐतिहासिक है जो 13 से 14 घंटे लाइव चला। मैं अपने साथी कमांडरों को धन्यवाद देना चाहूंगा, वो टीम बहुत ही प्रशिक्षित टीम थी और अभी भी है। ऐसे में कई बार गलतियां भी हो जाती हैं, फायर पावर अनावश्यक रूप से यूज कर जाते हैं। लेकिन बहुत ही विशेषज्ञता के साथ उस एनकाउंटर को अंजाम दिया गया। इस टीम के जो सदस्य थे उनको राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया गया।

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आपकी एक सोशल मीडिया पोस्ट जो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अंतिम विदाई पर लिखी गई थी, थोड़ा उसके बारे में जानकारी दीजिए? 

मंत्री असीम अरुण ने कहा कि मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य था, मेरी उम्र केवल 34 साल थी और मैं प्रधानमंत्री का बॉडीगार्ड था। चार साल मैं एसपीजी में रहा और उसमें से तीन साल मैं मनमोहन सिंह जी की सुरक्षा में तैनात रहा। उनसे व्यवहार और आचरण के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिलता था और जब वो नहीं रहे तो सबको पीड़ा थी। मेरा उनसे ज्यादा लगाव था, मुझे कुछ ज्यादा पीड़ा थी तो मैंने एक सामान्य से पोस्ट लिखी। उसी बीच जर्मन कार खरीदी थीं, एसपीजी ने इन्हें इस लिए लिया गया था, क्योंकि उनका प्रोटेक्शन लेवल अच्छा था, उस समय इंडियन कार का इतना अच्छा नहीं था, लेकिन मनमोहन सिंह जी बिल्कुल तैयार नहीं होते थे कि वो उस गाड़ी में बैठें। उनका बार-बार मन करता था कि मेरे लिए एंबेसडर लगाओ या जो उनकी अपनी मारुति 800 थी, उसको बहुत हसरत भरी निगाहों से देखते थे। हम कहते थे कि इस गाड़ी में तो आप कभी नहीं बैठ सकते लेकिन उस गाड़ी को भी सहेज के संभालकर रखने की जिम्मेदारी एसपीजी की थी।

05:21 PM, 17-Apr-2025

मुस्लिम समाज अपने वक्फ को लेकर चिंतित है, वह सुप्रीम कोर्ट में जा रहा है तो सरकार उसका जवाब कोर्ट में देगी, लेकिन सामाजिक मंचों पर जो इसका जवाब देना चाहिए था वह अब ऐसा लगता है कि कानून तो बन चुका है तो अब जवाब देने की क्या जरूरत

मंत्री असीम अरुण ने कहा कि कोई भी कानून बनता है उसको लेकर लोकसभा में भी चर्चा हुई और राज्यसभा में भी चर्चा है। सरकार अपने पक्ष को नए कानून को बहुत वैज्ञानिक तरीके से प्वाइंट के तौर पर रख रही थी। उस समय विपक्ष क्या पूछ रहा था कि आपका राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन पा रहा है। जबकि इसका उससे कोई लेना-देना यानी हल्की बातें। 

05:03 PM, 17-Apr-2025

संवाद के मंच पर पहुंचे मंत्री असीम अरुण

उत्तर प्रदेश सरकार में समाज कल्याण राज्यमंत्री असीम अरुण संवाद के मंच पर पहुंच गए हैं। वह समता और समाज विषय पर अपने विचार रखेंगे। 

04:57 PM, 17-Apr-2025

कभी संघर्ष याद आता है पिता का, जब वो आपके और आपके भाई के लिए ओवरटाइम किया करते थे? 

विजेंदर: संघर्ष के दिन बिल्कुल याद आते हैं। कहते हैं न कि वो जमीन नहीं भूलनी चाहिए जहां से आप आए हैं। मेहनत अब भी बाकी है, बहुत सारी चीजें करनी हैं जिंदगी में। जिंदगी आपको बहुत सारे मौके देती हैं, आप उन सब मौकों को पकड़िए, उन्हें जाने मत दीजिए। मौकों का सही तरीके से फायदा उठाइए और उन्हें व्यर्थ मत जाने दीजिए। पीछे देखेंगे तो आगे वाली ट्रेन छूट जाएगी।

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विजेंदर ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में जीता था कांस्य

विजेंदर को साल 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा गया था। उन्होंने 2008 के बीजिंग ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा था। वे इन खेलों में पदक जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज थे। 39 वर्षीय विजेंदर अभी पेशेवर सर्किट में खेल रहे हैं हालांकि उन्होंने 2022 के बाद से कोई मुकाबला नहीं लड़ा है। विजेंदर राजनीति में भी सक्रिय हैं। उन्होंने 2024 में भाजपा का दामन थामा था। इससे पहले वह कांग्रेस का हिस्सा थे। 

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04:51 PM, 17-Apr-2025

आप एक सोसायटी से आती हो जहां बॉक्सिंग जैसे खेल को अलग तरीके से देखा जाता है। कभी आपको ताने नहीं मिले?

निकहत: कुछ नहीं बहुत ताने मिले थे। जब मैं पड़ोसी के साथ मुक्केबाजी के लिए जाती थी। हम चार बहनें हैं। मुझसे बड़ी दोनों बहनें फीजियोथेरेपिस्ट हैं। मेरे मम्मी पापा को बोला जाता था कि आपने अपनी बेटी को बॉक्सिंग में क्यों डाला। हमारी कम्यूनिटी में बॉक्सिंग की इजाजत नहीं है। बॉक्सिंग में हमें शॉर्ट्स पहनना पड़ता है, स्लीवलेस पहनना पड़ता है जो कि सही नहीं है। आपने ऐसा क्यों किया, आपको बेटी को मुक्केबाजी में नहीं डालना चाहिए था। आपकी इस बेटी की वजह से बड़ी बेटियों को रिश्ते मिलने बंद हो जाएंगे, लेकिन मेरे पापा ने किसी की नहीं सुनी। उन्होंने मुझे पहले दिन से सपोर्ट किया है और वह मुझे हमेशा एक ही बात कहते थे कि देखना आज यह बोल रहा है कि इस बेटी की वजह से बड़ी बेटी को रिश्ते नहीं मिल रहे, लेकिन एक दिन यही बोलेंगे कि ये इस बेटी की बहनें हैं और ये उनके जीजू हैं। पापा हमेशा कहते रहे कि मेहनत करते रहो और अपने सपने को पूरा करो। भारत के लिए मेडल जीतो। देखना एक दिन अपने आप लोग आएंगे आपके साथ फोटो और सेल्फी लेने।

विजेंदर: म्हारी छोरियां छोरों से कम है के? निकहत किसी से कम नहीं है। विश्व चैंपियन है। लड़कियों को निजी जिंदगी में भी कभी नहीं आंकना चाहिए। महिला शक्ति हमसे बहुत स्ट्रॉन्ग है। उनका मान सम्मान होना चाहिए।

04:47 PM, 17-Apr-2025

शुरुआत मैंने एथलेटिक्स से की थी: निकहत जरीन

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मुक्केबाज निकहत जरीन बोलीं, शुरुआत मैंने एथलेटिक्स से की थी। मैं 100-200 मीटर स्प्रिंट में हिस्सा लेती थी। पिता के साथ स्टेडियम जाती थी। वहां मैंने मुक्केबाजों को देखा। मुक्केबाज बॉक्सिंग बैग और पंचिंग बैग पर पंच कर रहे थे, तब मैंने अपने पिता से कहा कि पापा बॉक्सिंग सिर्फ लड़के कर सकते हैं क्या, लड़कियां नहीं कर सकतीं? तो उन्होंने बोला कि नहीं बेटा लड़कियां भी कर सकती हैं।

04:40 PM, 17-Apr-2025

कैसा लग रहा है आप दोनों को लखनऊ में आकर?

संवाद के मंच पर मुक्केबाज विजेंदर सिंह और निकहत जरीन पहुंचे हैं। दोनों से पूछा गया कि लखनऊ में आकर आपको कैसा लग रहा है तो विजेंदर सिंह बोले, बहुत अच्छा लग रहा है। एक बहुत अच्छी कहावत है… मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं।

निकहत: मैं पहली बार लखनऊ आई हूं। मैंने बस लखनऊ को इंस्टाग्राम रील्स पर देखा है। लखनऊ के खाने वाला रील्स देखकर मेरा मन करता था कि मैं यहां आऊं। कल मुझे खाने का मौका मिला और मैं और इस जगह को एक्सप्लोर करना चाहती हूं।

04:33 PM, 17-Apr-2025

शिक्षा को लेकर आप लोग क्या कर रहे हैं? 

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री रजनी बोलीं, मैं सबसे पहले अमर उजाला को धन्यवाद देना चाहती हूं। अमर उजाला के 77 वर्ष पूरे होने पर आपको बधाई देना चाहती हूं। अमर उजाला को लोग कई चीजों के लिए काफी पसंद करते हैं। जब से केंद्र में और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, हमारी सरकार इस दिशा में काम कर रही कि कैसे देश आगे कैसे बढ़े और कैसे प्रदेश आगे बढ़े। किस तरह से हमारे युवा आगे बढ़ें इसके लिए अनेक योजनाएं बनाईं। जब आपने मुझसे ये सवाल किया तो मुझे याद आ रहा है कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था कि हमारे युवाओं की क्षमता को पहचानना होगा। 

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